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पैकेट वाला दूध उबालना सही या गलत? क्या पोषक तत्व हो जाते हैं कम? जानें एक्सपर्ट की राय और दूध से जुड़े हर सवाल का जवाब

पैकेट वाला दूध उबालना सही या गलत? क्या पोषक तत्व हो जाते हैं कम? जानें एक्सपर्ट की राय और दूध से जुड़े हर सवाल का जवाब
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आजकल शहरों में पॉलीपैक और टेट्रा पैक दूध का इस्तेमाल आम है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या बाजार में मिलने वाले इस प्रोसेस्ड दूध को उबालना जरूरी है? क्या उबालने से इसके पोषक तत्व कम हो जाते हैं? इस 'जरूरत की खबर' में हम पाश्चराइजेशन, UHT प्रक्रिया, विभिन्न प्रकार के दूध और उन्हें उबालने के नफे-नुकसान पर एक्सपर्ट्स, इंडियन डेयरी एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आर. एस. सोढ़ी और डाइटीशियन शुचिता शर्मा की राय जानेंगे।

जो लोग पारंपरिक रूप से ताजे गाय या भैंस के दूध को उबालकर पीने के आदी रहे हैं, उनके लिए बिना उबाले दूध का सेवन करना एक बड़ी दुविधा का विषय हो सकता है। यह धारणा काफी हद तक सही भी है क्योंकि कच्चे दूध में हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं। हालांकि, आज के आधुनिक शहरी जीवन में कच्चा दूध आसानी से उपलब्ध नहीं होता और अधिकांश घरों में पॉलीपैक या टेट्रा पैक वाले प्रोसेस्ड दूध का ही बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में यह सवाल अक्सर हमारे मन में उठता है कि क्या बाजार में मिलने वाले इस पैकबंद दूध को भी उबालना उतना ही जरूरी है? कुछ लोग मानते हैं कि सुरक्षा के लिहाज से इसे उबालना ही चाहिए, तो कुछ का तर्क है कि यह दूध पहले ही पाश्चराइजेशन या UHT जैसी उन्नत प्रक्रियाओं से गुजर चुका होता है, इसलिए इसे बार-बार उबालना न सिर्फ अनावश्यक है, बल्कि इससे दूध के महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी नष्ट हो सकते हैं।

तो चलिए आज 'जरूरत की खबर' में हम दूध से जुड़े इन्हीं महत्वपूर्ण सवालों के जवाब और इस विषय पर विशेषज्ञों की राय जानते हैं। हमारे विशेषज्ञ हैं डॉ. आर. एस. सोढ़ी, प्रेसिडेंट, इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) एवं पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर, अमूल, और शुचिता शर्मा, डाइटीशियन, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर।

सवाल- पाश्चराइजेशन और UHT प्रोसेस दूध क्या होता है?

जवाब- पाश्चराइजेशन (Pasteurization) और अल्ट्रा हाई टेम्परेचर (UHT) प्रोसेसिंग, दूध और अन्य तरल खाद्य पदार्थों को हानिकारक सूक्ष्मजीवों से मुक्त कर उन्हें पीने के लिए सुरक्षित बनाने तथा उनकी शेल्फ लाइफ (उपयोग अवधि) बढ़ाने की दो प्रमुख वैज्ञानिक और प्रभावी तकनीकें हैं। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं:

  • पाश्चराइजेशन (Pasteurization): यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दूध को आमतौर पर लगभग 71°C (सेल्सियस) या 161°F (फारेनहाइट) तापमान पर 15 से 20 सेकेंड तक गर्म किया जाता है और फिर उसे तुरंत ठंडा कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य दूध में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया जैसे ई.कोली (E.coli), लिस्टेरिया (Listeria) और सैल्मोनेला (Salmonella) को खत्म करना होता है, जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। पाश्चराइजेशन से दूध पीने के लिए सुरक्षित हो जाता है, लेकिन यह सभी सूक्ष्मजीवों या उनके स्पोर्स (बीजाणुओं) को नष्ट नहीं करता। इसलिए पाश्चराइज्ड दूध को फ्रिज में ठंडा रखना (आमतौर पर 4°C पर) और पैकिंग पर लिखी 'यूज़ बाय' डेट या कुछ दिनों के भीतर इस्तेमाल कर लेना आवश्यक होता है। आमतौर पर हम दुकानों से जो पॉलीपैक में दूध खरीदते हैं, वह पाश्चराइज्ड ही होता है।
  • UHT (अल्ट्रा हाई टेम्परेचर) प्रोसेस: इस प्रक्रिया में दूध को बहुत ही उच्च तापमान, यानी 135°C (सेल्सियस) या 275°F (फारेनहाइट) से भी अधिक तापमान पर, केवल 2 से 5 सेकेंड के लिए तेजी से गर्म किया जाता है। इस अत्यधिक उच्च तापमान के कारण दूध में मौजूद लगभग सभी प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया और उनके ऊष्मा-प्रतिरोधी स्पोर्स भी पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद दूध को तुरंत ठंडा करके एक रोगाणुहीन (एसेप्टिक) और प्रकाश-अभेद्य पैकिंग (जैसे टेट्रा पैक) में बंद कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के कारण UHT दूध को बिना फ्रिज में रखे भी कमरे के तापमान पर 6 महीने या उससे भी अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, बशर्ते उसकी पैकिंग खुली न हो।

सवाल- क्या पैकेट वाले (पॉलीपैक) दूध को उबालना जरूरी है?

जवाब- इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल की डाइटीशियन शुचिता शर्मा इस बारे में स्पष्ट करती हैं कि यदि आप सीधे किसी डेयरी फार्म या ग्वाले से गाय या भैंस का कच्चा (अनप्रोसेस्ड) दूध लेते हैं, तो उसे पीना या किसी भी अन्य उपयोग में लाने से पहले अच्छी तरह उबालना अनिवार्य है। कच्चे दूध में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो हमारे शरीर में जाकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।

लेकिन, जो दूध हमें बाजार में पॉलीपैक या अन्य सीलबंद पैकेट में मिलता है, वह पहले से ही पाश्चराइजेशन जैसी वैज्ञानिक प्रक्रिया द्वारा उच्च तापमान पर गर्म करके साफ और पीने के लिए सुरक्षित बनाया गया होता है। पाश्चराइजेशन का उद्देश्य ही दूध को हानिकारक जीवाणुओं से मुक्त करना है। ऐसे में, इस पहले से सुरक्षित दूध को घर लाकर बार-बार या बहुत देर तक तेज आंच पर उबालने से इसमें मौजूद कुछ गर्मी के प्रति संवेदनशील (heat-sensitive) विटामिन और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व कम हो सकते हैं या नष्ट हो सकते हैं। इसलिए, विशेषज्ञों का मानना है कि पॉलीपैक वाले पाश्चराइज्ड दूध को अनिवार्य रूप से उबालने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। यदि आप गर्म दूध पीना पसंद करते हैं, तो इसे पीने से ठीक पहले बस हल्का सा गुनगुना करना या एक उबाल आने तक गर्म करना पर्याप्त है।

सवाल- क्या UHT दूध (टेट्रा पैक वाले) को उबालना जरूरी है?

जवाब- UHT (अल्ट्रा हाई टेम्परेचर) प्रोसेस्ड दूध, जो आमतौर पर टेट्रा पैक या इसी तरह की मल्टी-लेयर्ड एसेप्टिक कार्टन पैकिंग में आता है, उसे निर्माण के दौरान ही 135 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक तापमान पर कुछ ही सेकेंड के लिए बहुत तेजी से गर्म किया जाता है और फिर उसे तुरंत ठंडा करके एकदम साफ (रोगाणुहीन) पैकिंग में सील कर दिया जाता है। इस अत्यंत प्रभावी प्रक्रिया में दूध में मौजूद लगभग सभी प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया और उनके स्पोर्स (जो सामान्य पाश्चराइजेशन में भी बच सकते हैं) पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।

इसका सीधा मतलब यह है कि UHT दूध वाणिज्यिक रूप से जीवाणुरहित (commercially sterile) होता है और आप इसे बिना किसी संकोच के सीधे पैक से निकालकर पी सकते हैं। इसे उबालने की कतई कोई जरूरत नहीं होती है। इसे उबालना इसके पोषक तत्वों को अनावश्यक रूप से कम कर सकता है। हालांकि, अगर आपको गर्म दूध पीना पसंद है, तो आप अपनी व्यक्तिगत पसंद के अनुसार इसे हल्का गर्म कर सकते हैं, लेकिन यह केवल आपकी पसंद पर निर्भर करता है, दूध की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक नहीं है।

सवाल- टोंड, डबल टोंड, फुल क्रीम दूध: क्या इनके उबालने की जरूरत अलग-अलग होती है?

जवाब- टोंड, डबल टोंड और फुल क्रीम दूध, मुख्य रूप से दूध में मौजूद वसा (फैट या मलाई) की मात्रा के आधार पर वर्गीकृत किए जाते हैं:

  • फुल क्रीम दूध: इसमें वसा की मात्रा सबसे अधिक (आमतौर पर 6% या अधिक) होती है और यह गाढ़ा होता है।
  • टोंड दूध: इसमें फुल क्रीम दूध की तुलना में वसा की मात्रा कम (आमतौर पर 3%) होती है।
  • डबल टोंड दूध: इसमें वसा की मात्रा टोंड दूध से भी कम (आमतौर पर 1.5%) होती है।

ये सभी प्रकार के दूध जो बाजार में पैकेटों में उपलब्ध होते हैं, वे अनिवार्य रूप से पाश्चराइजेशन प्रक्रिया से गुजारे जाते हैं ताकि वे पीने के लिए सुरक्षित हों। इसलिए, चाहे वह टोंड दूध हो, डबल टोंड दूध हो या फुल क्रीम दूध, इनके उबालने की आवश्यकता एक जैसी ही होती है - यानी, यदि वे पाश्चराइज्ड या UHT प्रोसेस्ड हैं, तो उन्हें उबालना अनिवार्य नहीं है। फर्क सिर्फ दूध में मौजूद मलाई या वसा की मात्रा का होता है, उबालने की प्रक्रिया की आवश्यकता का नहीं।

सवाल- बार-बार दूध उबालने से क्या उसका पोषण और ताजगी पर असर पड़ता है?

जवाब- जी हां, दूध को बार-बार या बहुत अधिक देर तक तेज आंच पर उबालने से उसके पोषण मूल्य में निश्चित रूप से कुछ कमी आ सकती है। दूध कई महत्वपूर्ण विटामिनों का स्रोत है, जिनमें से कुछ गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं। उदाहरण के लिए, विटामिन B1 (थायमिन), B2 (राइबोफ्लेविन), B3 (नियासिन), B6 (पाइरिडॉक्सिन) और फोलिक एसिड (विटामिन B9) जैसे बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन की मात्रा बार-बार उबालने से घट सकती है। राइबोफ्लेविन, जो दूध को उसकी थोड़ी पीली रंगत देता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेष रूप से गर्मी से प्रभावित हो सकता है।

इसके अलावा, अत्यधिक उबालने से दूध में मौजूद कुछ प्रोटीन की प्राकृतिक संरचना (denaturation) बदल सकती है और उसका वसा (फैट) थोड़ा अलग (separation) हो सकता है, जिससे दूध का स्वाद और बनावट भी बदल सकती है। हालांकि, दूध में मौजूद कैल्शियम या वसा की कुल मात्रा पर उबालने का बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यदि दूध को बार-बार उबाला जाए तो उसकी शेल्फ लाइफ भी कम हो सकती है और वह जल्दी खराब होने की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि प्रत्येक उबाल के साथ उसके प्राकृतिक संरक्षक गुण थोड़े कम हो जाते हैं। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि यदि आवश्यक हो तो दूध को केवल एक बार हल्का गर्म करें, लेकिन बार-बार तेज आंच पर उबालने से बचना चाहिए।

सवाल- पैकेट खोलने के बाद दूध को कितने समय में पी लेना चाहिए?

जवाब- पाश्चराइज्ड दूध का पैकेट खोलने के बाद, उसे फ्रिज में सही तापमान पर रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषकर गर्मी के मौसम में, पैकेट खोलने के बाद दूध को 3 से 4 दिन के अंदर इस्तेमाल कर लेना चाहिए। इस दौरान दूध को हमेशा फ्रिज में 4°C (सेल्सियस) या उससे कम तापमान पर सही ढंग से बंद करके (या एयरटाइट कंटेनर में डालकर) रखना जरूरी है, ताकि उसमें बैक्टीरिया न पनप सकें और वह खराब न हो।

हालांकि, दूध का सेवन करने से पहले हमेशा उसकी गंध, स्वाद और बनावट को एक बार जरूर जांच लें। यदि उसमें किसी भी प्रकार की खटास, असामान्य गंध या वह फटा हुआ सा लगे, तो उसे बिल्कुल न पिएं, क्योंकि यह खराब होने का संकेत हो सकता है।

सवाल- क्या पैकेट वाला दूध भी 'गंदा' या दूषित (Contaminated) हो सकता है?

जवाब- यदि पैकेट वाला दूध सही निर्माण प्रक्रिया (जैसे कि पाश्चराइजेशन या UHT ट्रीटमेंट) से गुजरा है, उसकी पैकिंग पूरी तरह से सीलबंद और अक्षुण्ण है, और उसे परिवहन व भंडारण के दौरान सही तापमान पर (विशेषकर ठंडा) रखा गया है, तो वह आमतौर पर पीने के लिए साफ और सुरक्षित होता है।

लेकिन, अगर दूध का पैकेट खरीदने के बाद घर पर खुला छोड़ दिया जाए, उसे कमरे के तापमान पर लंबे समय तक रखा जाए, या फ्रिज में ठीक से और पर्याप्त रूप से ठंडा न किया जाए, तो उसमें तेजी से हानिकारक बैक्टीरिया विकसित हो सकते हैं और वह दूषित हो सकता है। गर्मियों में यह खतरा और भी तेजी से बढ़ जाता है क्योंकि उच्च तापमान बैक्टीरिया के विकास के लिए अत्यंत अनुकूल होता है। इसके अलावा, यदि पैकिंग कहीं से कटी-फटी या लीक हो रही हो, तो भी दूध दूषित हो सकता है। इसलिए, दूध को हमेशा सील बंद पैकेट में खरीदें, उसकी 'बेस्ट बिफोर' या 'एक्सपायरी' डेट अवश्य जांचें और खोलने के बाद सही तापमान पर स्टोर करें व साफ-सुथरे बर्तनों का प्रयोग करें।

क्या है सही तरीका?

कुल मिलाकर, विशेषज्ञों का स्पष्ट मानना है कि बाजार में मिलने वाला पाश्चराइज्ड पॉलीपैक दूध या UHT (अल्ट्रा हाई टेम्परेचर) प्रोसेस्ड टेट्रा पैक दूध पहले से ही पीने के लिए पर्याप्त रूप से सुरक्षित होता है और इसे अनिवार्य रूप से उबालने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। यदि आप इसे गर्म पीना पसंद करते हैं, तो केवल हल्का गुनगुना करना या एक उबाल आने तक गर्म करना ही पर्याप्त है। बार-बार या अत्यधिक उबालने से इसके कुछ मूल्यवान पोषक तत्व कम हो सकते हैं। हालांकि, यदि आप सीधे ग्वाले या किसी स्थानीय डेयरी से कच्चा (अनप्रोसेस्ड) दूध ले रहे हैं, तो उसे किसी भी उपयोग में लाने से पहले अच्छी तरह उबालना अत्यंत आवश्यक है ताकि उसमें मौजूद संभावित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट किया जा सके।

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