मऊगंज

मऊगंज: हिंसा के 21 दिन बाद गड़रा गांव में फिर मातम, पिता और दो मासूम बच्चों के फंदे पर लटके मिले सड़े-गले शव; पुलिस पर हत्या का आरोप

मऊगंज: हिंसा के 21 दिन बाद गड़रा गांव में फिर मातम, पिता और दो मासूम बच्चों के फंदे पर लटके मिले सड़े-गले शव; पुलिस पर हत्या का आरोप
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MP के मऊगंज जिले के गड़रा गांव में, जहां 21 दिन पहले मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मी की हत्या के बाद हिंसा भड़की थी, अब एक घर में 3 शव फंदे से लटके मिले हैं।

मध्य प्रदेश का नवगठित मऊगंज जिला एक बार फिर सुर्खियों में है। जिले के गड़रा गांव में, जो पिछले महीने हुई भीषण हिंसा के बाद से तनावग्रस्त है, एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। शुक्रवार (4 अप्रैल, 2025) को गांव के एक घर के अंदर पिता और उसके दो मासूम बच्चों के शव फंदे से लटके हुए पाए गए। शव बुरी तरह सड़-गल चुके थे, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि मौतें लगभग 15 दिन या उससे भी पहले हुई होंगी।

मृतकों की पहचान औसेरी साकेत (55 वर्ष), उनकी बेटी मीनाक्षी (11 वर्ष) और बेटे अमन (8 वर्ष) के रूप में हुई है। यह घटना उसी गड़रा गांव में हुई है जहां 15 मार्च को सनी द्विवेदी नामक युवक की पीट-पीटकर हत्या और उसके बाद भड़की हिंसा में ASI रामचरण गौतम की शहादत हुई थी।

बेटी का आरोप: 'पुलिस ने मारकर लटकाया'

मृतक औसेरी साकेत की बड़ी बेटी मंजू साकेत (जो विवाहित है और गांव से बाहर रहती है) ने पुलिस पर अपने पिता और छोटे भाई-बहन की हत्या कर उन्हें फंदे पर लटकाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। मंजू ने बताया कि उसकी अपने पिता से आखिरी बार 17 मार्च की सुबह बात हुई थी। बकौल मंजू, "पिताजी ने फोन पर कहा था कि पुलिस वालों ने एक दिन पहले उन्हें और बच्चों को बहुत मारा है। उन्होंने मुझे घर आने से मना किया था और आशंका जताई थी कि पुलिस उन्हें ले जा सकती है। मैंने कहा था कि आप बेकसूर हैं, ले जाएंगे तो छोड़ देंगे। अगले दिन से उनका फोन बंद आने लगा।" मंजू ने रुंधे गले से कहा, "हमें नहीं पता था कि पुलिस वाले उन्हें मार कर लटका देंगे। इतने छोटे-छोटे भाई-बहन कैसे फांसी लगा सकते हैं?"

गांव में दहशत का माहौल

15 मार्च की हिंसा के 21 दिन बाद भी गड़रा गांव में भारी पुलिस बल तैनात है और धारा 163 (BNS) लागू है। गांव के अधिकांश घरों में ताले लटके हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। गांव में बचे कुचे लोगों का कहना है कि वे पुलिस की दहशत में जी रहे हैं। आरोप है कि पुलिस लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने देती और गांव में आने-जाने पर भी पाबंदी है।

पुलिस पर प्रताड़ना के आरोप

कुछ महिला ग्रामीणों (शशि कला साकेत, निर्मला साकेत) ने आरोप लगाया कि हिंसा के बाद पुलिस ने घरों में घुसकर निर्दोष लोगों, महिलाओं और यहां तक कि दिव्यांगों के साथ भी मारपीट की और कई पुरुषों को बेवजह गिरफ्तार कर लिया। लोगों का कहना है कि गिरफ्तारी और आवाजाही पर रोक के कारण वे खेतों में खड़ी फसल तक नहीं काट पा रहे हैं, जिससे भुखमरी की नौबत आ गई है। औसेरी के रिश्तेदारों ने भी कहा कि हिंसा के बाद पुलिस ने उन्हें गांव में घुसने या औसेरी से मिलने नहीं दिया।

कौन थे औसेरी साकेत?

औसेरी साकेत पेशे से दर्जी थे और सिलाई करके अपना व अपने बच्चों का पेट पालते थे। उन्होंने तीन शादियां की थीं। पहली पत्नी की बीमारी से मृत्यु हो गई। दूसरी पत्नी से उन्हें चार बच्चे (तीन बेटियां- मंजू, पुष्पा, चंपा और एक बेटा- पवन) हुए, लेकिन 2007 में उनकी भी बीमारी से मृत्यु हो गई। बच्चों की देखभाल के लिए औसेरी ने तीसरी शादी की, जिससे उन्हें मीनाक्षी और अमन हुए। लेकिन तीसरी पत्नी भी कुछ साल बाद उन्हें छोड़कर चली गई। 15 मार्च की हिंसा के बाद गांव में तनाव के चलते उनका काम बंद हो गया था। उनके बेटे पवन की इसी महीने (अप्रैल 2025) शादी होनी थी, लेकिन इस हादसे ने खुशियों को मातम में बदल दिया।

पुलिस का पक्ष: 'प्रथम दृष्टया आत्महत्या, जांच जारी'

इन गंभीर आरोपों पर मऊगंज एसपी दिलीप सोनी ने कहा कि पुलिस पर मारपीट के आरोप गलत लगते हैं, क्योंकि प्रशासन और पुलिस अधिकारी लगातार गांव का दौरा कर रहे हैं और ऐसी कोई शिकायत सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि औसेरी और उनके बच्चों की मौत का मामला प्रथम दृष्टया आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। शव बुरी तरह गल चुके हैं, जिससे मौत के सही समय का अंदाजा लगाना मुश्किल है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। एसपी सोनी ने कहा कि 15 मार्च की हिंसा और इस घटना के बीच फिलहाल कोई सीधा कनेक्शन समझ नहीं आ रहा है, यह एक अलग घटना लग रही है। मामले की गहन जांच की जा रही है और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

जानें 15 मार्च को क्या हुआ था, जब भड़की थी हिंसा और गई थी दो जानें

गड़रा गांव पिछले महीने 15 मार्च, 2025 को एक हिंसक और दुखद घटना के कारण सुर्खियों में आया था। उस दिन गांव में भारी बवाल हुआ, जिसने शांति भंग कर दी और दो लोगों की जान ले ली। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस घटना की शुरुआत सनी द्विवेदी नामक एक युवक की कथित तौर पर आदिवासियों द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने से हुई।

ASI शहीद, कई पुलिसकर्मी घायल

युवक की हत्या के बाद स्थिति और बिगड़ गई। गुस्साई भीड़ और स्थिति को नियंत्रित करने पहुंची पुलिस के बीच झड़प हो गई। इस दौरान हुए हमले में सहायक उप-निरीक्षक (ASI) श्री रामचरण गौतम गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी शहादत हो गई। इस हिंसक झड़प में 15 से अधिक अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।

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