
कराची में पाक सेना के समर्थन में आतंकियों की रैली: LeT-ASWJ शामिल, भारत विरोधी भाषण, राफेल-S400 तबाह करने का दावा

भारत के साथ हालिया सैन्य टकराव और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित संघर्ष विराम के कुछ ही दिनों बाद, पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में 12 मई, 2025 को पाकिस्तानी सेना के समर्थन में एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया। इस रैली की सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इसमें हजारों की संख्या में कट्टरपंथी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और अहले सुन्नत वल जमात (ASWJ) जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नामित और पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के सदस्य और समर्थक भी खुलेआम शामिल हुए।
रैली का आयोजन पाकिस्तान की दिफा-ए-वतन काउंसिल (DWC) द्वारा किया गया था, जिसका नेतृत्व जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने किया। दिफा-ए-वतन काउंसिल पाकिस्तान के विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक संगठनों का एक गठबंधन है, जिसका घोषित उद्देश्य देश की तथाकथित रक्षा करना है।
'ऑपरेशन बनयान-उन-मर्सूस' का जश्न और भारत विरोधी जहर
यह रैली पाकिस्तान द्वारा भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के जवाब में की गई कथित सैन्य कार्रवाई, जिसे 'ऑपरेशन बनयान-उन-मर्सूस' नाम दिया गया हो सकता है, का जश्न मनाने के लिए आयोजित की गई थी। रैली में शामिल आतंकियों और कट्टरपंथी नेताओं ने बुलेटप्रूफ ग्लास के पीछे खड़े होकर भारत के खिलाफ जमकर आग उगली और भड़काऊ भाषण दिए।
कट्टरपंथियों के भड़काऊ और हास्यास्पद दावे
रैली में शामिल एक कट्टरपंथी मुफ्ती, तारिक मसूद ने पाकिस्तानी सेना को 'सेक्युलर' कहे जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा, "पाकिस्तान के गद्दार पाक आर्मी को सेक्युलर कहते हैं, जबकि हमारे दुश्मन हमारी आर्मी को मजहबी आर्मी कहते हैं। इस युद्ध को जीतने के बाद यह तय हो गया है कि हमारी सेना सेक्युलर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी सेना है जो शहादत का जुनून रखती है और मजहब और इस्लाम के नाम पर, अल्लाह के नाम पर अपनी जान कुर्बान कर देती है।"
वहीं, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (सिंध) के महासचिव अल्लामा राशिद महमूद ने भारत को खुलेआम धमकी देते हुए कई हास्यास्पद दावे किए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी आर्मी ने न केवल इजराइली ड्रोनों को गिराकर उसका घमंड चकनाचूर कर दिया, बल्कि फ्रांस के राफेल जेट को भी मार गिराया और रूस में बने भारत के S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को भी तबाह कर दिया। उसने रूस को भी चेतावनी देते हुए कहा कि "पाकिस्तान से पंगा लेने से पहले तुम्हें सौ बार सोचना चाहिए।" इन दावों का कोई भी तथ्यात्मक आधार नहीं है और इन्हें पाकिस्तान के प्रोपेगैंडा का हिस्सा माना जा रहा है।
पाक सेना और आतंकियों का पुराना गठजोड़ फिर उजागर
यह रैली एक बार फिर पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी संगठनों के बीच गहरे और पुराने गठजोड़ को उजागर करती है। यह कोई छिपी बात नहीं है कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी ISI भारत के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध छेड़ने के लिए इन आतंकी गुटों का इस्तेमाल करती रही है। हाल ही में, भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान मारे गए कई पाकिस्तानी आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना के सीनियर अधिकारियों और नेताओं के शामिल होने की तस्वीरें और फुटेज भी सामने आई थीं। इन फुटेज में पाकिस्तानी नेता और अफसर, लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अब्दुल रऊफ के साथ जनाजे की नमाज पढ़ते दिखे थे। इनमें लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन, मेजर जनरल राव इमरान सरताज, मेजर जनरल मोहम्मद फुरकान शब्बीर, पंजाब पुलिस के आईजी डॉक्टर उस्मान अनवर और सांसद मलिक अहमद जैसे प्रमुख नाम शामिल थे।
'ऑपरेशन सिंदूर' और हालिया संघर्ष की पृष्ठभूमि
यह रैली और इसमें दिए गए बयान भारत द्वारा 7 मई, 2025 को किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद उपजे तनाव का परिणाम हैं। भारत ने यह निर्णायक सैन्य कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए नृशंस आतंकी हमले के 15 दिन बाद की थी, जिसमें आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछकर 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी। इस घटना के दौरान प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे, जिसे बीच में ही छोड़कर वह स्वदेश लौटे और कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई थी। 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारतीय वायुसेना और सेना ने मिलकर पाकिस्तान और PoK स्थित 9 आतंकी ठिकानों को मात्र 25 मिनट में सफलतापूर्वक तबाह कर दिया था, जिसमें 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच लगभग 4 दिनों तक चले सीधे सैन्य टकराव के उपरांत, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई की शाम सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की जानकारी दी थी।
अहले सुन्नत वल जमात (ASWJ) पर एक नजर
रैली में शामिल प्रमुख संगठनों में से एक, अहले सुन्नत वल जमात (ASWJ), पाकिस्तान में बरेलवी आंदोलन से जुड़ा एक प्रमुख संगठन है। यह संगठन जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्तान जैसे राजनीतिक दलों से भी जुड़ा रहा है। इसे पहले सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान (SSP) के नाम से जाना जाता था, जिसे पाकिस्तान सरकार ने 2002 में एक आतंकी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित कर दिया था। 2003 में इसने अपना नाम बदलकर अहले सुन्नत वल जमात कर लिया, लेकिन इसकी गतिविधियों के कारण 2012 में इसे एक बार फिर से प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके बावजूद, यह संगठन पाकिस्तान में सक्रिय है और अक्सर ऐसी रैलियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।