रीवा

देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती: रीवा के TRS महाविद्यालय में 'जीवन और दर्शन' पर बौद्धिक संगोष्ठी, सामाजिक समरसता व महिला सशक्तिकरण पर जोर

देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती: रीवा के TRS महाविद्यालय में जीवन और दर्शन पर बौद्धिक संगोष्ठी, सामाजिक समरसता व महिला सशक्तिकरण पर जोर
x
लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में 'जन कल्याणकारी पर्व' के तहत मध्य प्रदेश के TRS महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा उनके 'जीवन और दर्शन' विषय पर एक बौद्धिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

रीवा रियासत न्यूज डेस्क. लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती के पुनीत अवसर को 'जन कल्याणकारी पर्व' के रूप में मनाते हुए, मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार, रीवा के शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय (TRS College) के हिन्दी विभाग द्वारा एक विशेष बौद्धिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। "लोक माता देवी अहिल्याबाई होल्कर : जीवन और दर्शन" विषय पर केंद्रित यह संगोष्ठी महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अर्पिता अवस्थी के कुशल मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महान शासिका और समाज सुधारक देवी अहिल्याबाई के जीवन के विभिन्न पहलुओं और उनके शाश्वत दर्शन से वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराना था।

सामाजिक समरसता और राष्ट्रहित की प्रेरणा

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. भूपेन्द्र कुमार सिंह ने की। अपने सारगर्भित अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने देवी अहिल्याबाई होल्कर के विराट व्यक्तित्व को नमन करते हुए कहा कि, "देवी अहिल्याबाई होल्कर अपने संपूर्ण जीवनकाल में सामाजिक समरसता, सामाजिक सौहार्द, राष्ट्र की संप्रभुता एवं देश हित जैसे सर्वोच्च मानवीय और राष्ट्रीय मूल्यों के लिए चट्टान की तरह अडिग रहीं। उनका त्यागमय, न्यायप्रिय और प्रेरणादायक व्यक्तित्व आज भी हमारे समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक है और हम सभी को उनके जीवन आदर्शों को आत्मसात कर एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान देना चाहिए।"

महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण और जीवन मूल्य

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित डॉ. विनोद विश्वकर्मा ने देवी अहिल्याबाई होल्कर के बहुआयामी कृतित्व और उनके दूरदर्शी विचारों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "देवी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासनकाल में न केवल महिलाओं को शिक्षा का समान अधिकार दिलाने पर असाधारण बल दिया, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी अनेक क्रांतिकारी और अभूतपूर्व कार्य किए। इसके साथ ही, उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की महत्ता को समझते हुए जल संरक्षण और वृक्षारोपण जैसे कार्यों को प्रोत्साहित किया तथा जीवन मूल्यों की स्थापना को भी अपने शासन का एक अभिन्न अंग बनाया। उनके विचार आज भी हमें राह दिखाते हैं।"

कुशल सुशासिका और जनमानस की 'देवी'

कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के तौर पर उपस्थित डॉ. प्रदीप विश्वकर्मा ने अपने उद्बोधन में देवी अहिल्याबाई होल्कर को एक असाधारण और कुशल प्रशासिका के रूप में चित्रित किया। उन्होंने कहा, "देवी अहिल्याबाई होल्कर केवल एक शासिका ही नहीं, बल्कि एक ऐसी दूरदर्शी नेता थीं जिनके निर्णय जन कल्याण को समर्पित होते थे। अपने उत्कृष्ट लोक-कल्याणकारी विचारों, अनुकरणीय नैतिक आचरण और प्रजा के प्रति गहन न्यायप्रियता के कारण ही उन्हें आम जनमानस में 'देवी' का पूजनीय दर्जा प्राप्त हुआ और वे लोकमाता कहलाईं।"

इस विचारोत्तेजक और सारगर्भित बौद्धिक संगोष्ठी का कुशल संचालन डॉ. बृजेन्द्र कुशवाहा ने किया, जिन्होंने अपनी सहज शैली से कार्यक्रम को बांधे रखा। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बृजेश कुमार साकेत द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापकगण जिनमें डॉ. ज्योति पाण्डेय, डॉ. अल्पना मिश्रा, डॉ. प्रियंका पाण्डेय, आरती कुशवाहा, तथा सुदामा द्विवेदी प्रमुख रूप से उपस्थित थे। साथ ही, बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भी इस वैचारिक मंथन में सक्रिय रूप से भाग लिया और देवी अहिल्याबाई के जीवन से प्रेरणा ग्रहण की।

Next Story