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रीवा मेडिकल कॉलेज में 27 अप्रैल से शुरू होगा प्रदेश का तीसरा स्किन बैंक, जले हुए मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत

रीवा को मिलेगी स्किन बैंक की सौगात: रीवा का श्यामशाह मेडिकल कॉलेज (SSMC) जल्द ही मध्य प्रदेश के तीसरे स्किन बैंक की मेजबानी करेगा। भोपाल और जबलपुर के बाद रीवा में खुलने वाले इस स्किन बैंक की शुरुआत 27 अप्रैल को होने की संभावना है। यह बहुप्रतीक्षित सुविधा मेडिकल कॉलेज के बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग (Department of Burns and Plastic Surgery) के अंतर्गत संचालित होगी।
अब तक रीवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बर्न यूनिट होने के बावजूद स्किन ग्राफ्टिंग या प्लास्टिक सर्जरी के लिए आवश्यक त्वचा (स्किन) उपलब्ध नहीं हो पाती थी, जिससे मरीजों को बड़े शहरों में रेफर करना पड़ता था। इस बैंक के खुलने से स्थानीय स्तर पर ही गंभीर रूप से जले हुए मरीजों का बेहतर इलाज संभव हो सकेगा।
क्या है स्किन बैंक और कैसे मिलेगी त्वचा?
स्किन बैंक एक ऐसी आधुनिक चिकित्सा सुविधा है जहाँ मृत व्यक्तियों द्वारा दान की गई त्वचा को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित किया जाता है। इस संरक्षित त्वचा का उपयोग गंभीर रूप से जले हुए मरीजों या त्वचा संबंधी अन्य रोगों के उपचार में किया जाता है। त्वचा दान की प्रक्रिया काफी हद तक देहदान जैसी ही है। इसके लिए मृत व्यक्ति के परिजनों को अपनी सहमति देनी होती है। अस्पतालों में उपचार के दौरान ब्रेन डेड या कार्डियक डेथ वाले मरीजों के परिजन भी सहमति पत्र देकर त्वचा दान कर सकते हैं। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने स्किन बैंक का शुभारंभ उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला के हाथों कराने की तैयारी की है और उनसे इसके लिए समय मांगा गया है।
कौन कर सकता है त्वचा दान?
स्किन बैंक के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं। हेपेटाइटिस, एचआईवी, त्वचा कैंसर या अन्य गंभीर संक्रामक रोगों से पीड़ित व्यक्ति त्वचा दान नहीं कर सकते। दानदाता की आयु 18 वर्ष से अधिक और अधिकतम 65 वर्ष तक होनी चाहिए। त्वचा लेने से पहले चिकित्सक दानदाता की मेडिकल हिस्ट्री और आवश्यक जांचें भी करेंगे।
त्वचा निकालने और संरक्षित करने की प्रक्रिया
किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के 6 घंटे के भीतर त्वचा दान कराई जा सकती है। यदि पार्थिव शरीर को डीप फ्रीजर में रखा गया है, तो 24 घंटे तक त्वचा दान के योग्य रह सकती है। इच्छुक परिजन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन या जारी होने वाले हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर त्वचा दान की प्रक्रिया पूरी करा सकते हैं। त्वचा निकालने से पहले मेडिकल टीम शरीर को शुद्ध करती है और फिर 'डर्माटोम' नामक विशेष उपकरण से जांघ, पैर या पीठ से त्वचा की केवल 0.4 से 0.6 मिलीमीटर मोटी परत निकाली जाती है। इस प्रक्रिया में लगभग 30 से 45 मिनट लगते हैं और इससे शरीर पर कोई विकृति नहीं आती है।
6 महीने तक सुरक्षित रहेगी त्वचा, 200 डोनर की क्षमता
निकाली गई त्वचा को पहले 50% ग्लिसरॉल में और 24 घंटे के भीतर 85% ग्लिसरॉल में स्थानांतरित कर 4 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर विशेष कोल्ड रूम में संरक्षित किया जाता है। प्रोसेसिंग के दौरान संक्रमण की जांच के लिए सूक्ष्मजीवविज्ञानी परीक्षण किए जाते हैं। सही ढंग से प्रोसेस और संरक्षित की गई त्वचा लगभग छह महीने तक उपयोग के योग्य रहती है। रीवा के स्किन बैंक में लगभग 200 दानदाताओं की त्वचा को संरक्षित रखने की क्षमता होगी। इस त्वचा को आवश्यकतानुसार रीवा मेडिकल कॉलेज या प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भेजा जा सकेगा।
"अंगदान को बढ़ावा देने की पहल"
स्किन बैंक रीवा के प्रभारी डॉ. सौरभ सक्सेना ने बताया, "सरकार ने अंगदान को बढ़ावा देने के लिए नियमों में संशोधन किया है, जिसके तहत रीवा में स्किन बैंक खोला जा रहा है। एक डोनर से प्राप्त त्वचा का उपयोग 8 से 10 जरूरतमंद मरीजों के लिए किया जा सकता है। यह बैंक विंध्य क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।"