रीवा

रीवा EOW का बड़ा खुलासा: मृत व्यक्ति के नाम पर फर्जी दस्तावेज बना बेच डाली 30 एकड़ जमीन, राजस्व अधिकारी भी लपेटे में, FIR दर्ज

रीवा EOW का बड़ा खुलासा: मृत व्यक्ति के नाम पर फर्जी दस्तावेज बना बेच डाली 30 एकड़ जमीन, राजस्व अधिकारी भी लपेटे में, FIR दर्ज
x
रीवा में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने नए बस स्टैंड के पास 30 एकड़ जमीन के बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। मृत व्यक्ति के फर्जी दस्तावेज बनाकर करोड़ों की जमीन बेच दी गई। अयोध्या निवासी समेत कई लोगों पर FIR दर्ज हुई है, जिसमें राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत का भी शक है।

EOW ने किया बड़े जमीन फर्जीवाड़े का पर्दाफाश: मध्य प्रदेश के रीवा शहर में जमीन से जुड़े एक बड़े घोटाले का आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने भंडाफोड़ किया है। मामला शहर के नए बस स्टैंड के समीप स्थित करीब 30 एकड़ बेशकीमती जमीन से जुड़ा है, जिसे कथित तौर पर राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी तरीके से बेचा गया।

EOW ने खुलासा किया है कि जमीन के असली मालिक की मृत्यु के बाद उनके नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए और करोड़ों रुपये की यह जमीन धोखे से बेच दी गई। इस मामले में सोमवार शाम EOW ने मुख्य आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

फर्जीवाड़े का तरीका

EOW में शिकायतकर्ता माण्डवी सिंह और शिवेन्द्र विक्रम सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके पिता शिवाजी सिंह ने वर्ष 1972 में ग्राम रतहरा (तहसील हुजूर, जिला रीवा) में यह 30 एकड़ जमीन खरीदी थी। शिवाजी सिंह की मृत्यु वर्ष 2014 में हो चुकी थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के निवासी दिग्विजय सिंह ने रीवा निवासी राजेन्द्र सिंह राज और अन्य लोगों के साथ मिलकर एक आपराधिक षड्यंत्र रचा। इन लोगों ने शिवाजी सिंह की मृत्यु के बाद उनके नाम से नकली आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे कूट रचित दस्तावेज तैयार किए। इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के सहारे उन्होंने जमीन का अवैध मालिकाना हक हासिल कर लिया।

EOW की जांच और FIR

शिकायत मिलने के बाद EOW ने मामले की जांच की, जिसमें आरोपों की पुष्टि हुई। जांच में पाया गया कि शिवाजी सिंह की मृत्यु के बाद साल 2014 से 2024 के बीच आरोपियों ने साजिश के तहत इस 30 एकड़ जमीन को धीरे-धीरे कई हिस्सों में बेच दिया। EOW ने प्रथम दृष्टया अपराध प्रमाणित पाए जाने पर सोमवार शाम दिग्विजय सिंह, राजेन्द्र सिंह राज और अन्य संलिप्त आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 419 (प्रतिरूपण द्वारा छल), 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति की कूटरचना), 468 (छल के प्रयोजन से कूटरचना), और 471 (कूटरचित दस्तावेज का असली के रूप में उपयोग) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।

राजस्व अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका और जांच का दायरा

EOW के पुलिस अधीक्षक (SP) ने बताया कि इस पूरे फर्जीवाड़े में राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी बेहद संदिग्ध है और उनकी मिलीभगत के संकेत मिले हैं। यह भी बात सामने आई है कि कुछ राजस्व अधिकारियों ने फर्जी तरीके से अपने नाम पर भी जमीन दर्ज करवा ली थी। EOW अब इन संदिग्ध अधिकारियों के पुराने रिकॉर्ड खंगाल रही है। इसके साथ ही पंजीयन विभाग के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, अब तक लगभग 5 एकड़ जमीन बेची जा चुकी है, जिसकी अनुमानित कीमत 50 करोड़ रुपये आंकी गई है। EOW एसपी ने आम जनता से अपील की है कि यदि इस प्रकार के अन्य मामले भी उनके संज्ञान में हैं तो वे EOW को सूचित करें, ताकि तत्काल कार्रवाई की जा सके। फिलहाल मामले की विस्तृत विवेचना जारी है।

Next Story