
Apple भारत में जारी रखेगा iPhone उत्पादन: ट्रंप के दबाव में नहीं आएगी कंपनी, फॉक्सकॉन का ₹12,700 करोड़ का नया निवेश; US प्रेजिडेंट ने कहा था- भारत अपना ख्याल खुद रख लेगा

दिग्गज अमेरिकी टेक कंपनी एपल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बढ़ते दबाव और टैरिफ की धमकियों के बावजूद, भारत में अपने आईफोन उत्पादन को जारी रखने और इसे और विस्तारित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम दिख रही है। सीएनएन की रिपोर्ट्स और एक शीर्ष भारतीय सरकारी अधिकारी के अनुसार, एपल कंपनी राजनीतिक दबावों के आगे झुकने के बजाय भारत में उपलब्ध विशाल प्रतिभा, व्यापार के लिए अनुकूल माहौल और महत्वपूर्ण लाभप्रदता को प्राथमिकता देगी। यह स्थिति तब और स्पष्ट हो जाती है जब एपल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन ने हाल ही में भारत में एक बड़ा नया निवेश किया है।
एपल को ट्रंप की चेतावनी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (23 मई, 2025) को एक बार फिर एपल को चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका में बेचे जाने वाले आईफोन का निर्माण भारत या किसी अन्य देश में नहीं, बल्कि विशेष रूप से अमेरिका में ही होना चाहिए। उन्होंने एपल के सीईओ टिम कुक को स्पष्ट रूप से सूचित किया है कि यदि कंपनी अमेरिका में आईफोन का निर्माण नहीं करती है, तो उस पर कम से कम 25% का भारी टैरिफ लगाया जाएगा।
इससे पहले, 15 मई को भी ट्रंप ने कतर की राजधानी दोहा में व्यापारिक नेताओं के साथ एक कार्यक्रम में टिम कुक के साथ हुई अपनी बातचीत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, "मुझे कल टिम कुक के साथ थोड़ी परेशानी हुई। मैंने उनसे कहा, टिम, तुम मेरे दोस्त हो... लेकिन अब मैं सुन रहा हूं कि तुम पूरे भारत में प्रोडक्शन कर रहे हो। मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में प्रोडक्शन करो... हमने वर्षों तक चीन में तुम्हारे द्वारा बनाए गए सभी प्रोजेक्ट्स को सहन किया, अब तुम्हें अमेरिका में प्रोडक्शन करना होगा, हम नहीं चाहते कि तुम भारत में निर्माण करो। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है।"
भारत में आईफोन उत्पादन की वर्तमान स्थिति और भविष्य
वर्तमान में, एपल अपने स्मार्टफोन्स का निर्माण अमेरिका में नहीं करती है। कंपनी के अधिकांश आईफोन चीन में असेंबल किए जाते हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में भारत एपल के लिए एक महत्वपूर्ण विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरा है। अब भारत एपल के कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग 15% हिस्सा बनाता है, जो सालाना करीब 40 मिलियन यूनिट है।
एपल के सीईओ टिम कुक ने हाल ही में एक इंटरव्यू में एक और महत्वपूर्ण बात कही थी। उन्होंने बताया था कि अमेरिकी बाजार में बिकने वाले 50% आईफोन अब भारत में निर्मित हो रहे हैं और अप्रैल-जून 2025 की तिमाही तक भारत, अमेरिका में बेचे जाने वाले आईफोन्स का 'उद्गम देश' (Country of Origin) बन जाएगा। कंपनी के अन्य उत्पाद जैसे एयरपॉड्स और एपल वॉच ज्यादातर वियतनाम जैसे देशों में बनाए जा रहे हैं।
एपल के भारत पर विशेष फोकस के 5 प्रमुख कारण
- आपूर्ति श्रृंखला का विविधीकरण (Supply Chain Diversification): चीन पर अपनी अत्यधिक निर्भरता को कम करना एपल की प्रमुख प्राथमिकता है। भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार विवाद और कोविड-19 लॉकडाउन जैसी पिछली दिक्कतों से कंपनी ने यह सबक सीखा है कि किसी एक क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। इस लिहाज से भारत एपल के लिए एक स्थिर और कम जोखिम वाला विनिर्माण विकल्प प्रदान कर रहा है।
- सरकारी प्रोत्साहन (Government Incentives): भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों को आकर्षक वित्तीय सहायता और अन्य लाभ प्रदान करती हैं। इन नीतियों ने फॉक्सकॉन और टाटा जैसे एपल के प्रमुख विनिर्माण भागीदारों को भारत में अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
- बढ़ती बाजार संभावना (Growing Market Potential): भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन बाजारों में से एक है, जहां एपल के प्रीमियम उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने से एपल को इस विशाल मांग को प्रभावी ढंग से पूरा करने, लॉजिस्टिक्स लागत कम करने और अपनी बाजार हिस्सेदारी (जो वर्तमान में लगभग 6-7% है) को और बढ़ाने में मदद मिलती है।
- निर्यात के व्यापक अवसर (Export Opportunities): एपल भारत में बने लगभग 70% आईफोन का निर्यात करता है। भारत के कई देशों के साथ व्यापार समझौते और चीन की तुलना में कुछ मामलों में कम आयात शुल्क का लाभ भी कंपनी को मिलता है। वर्ष 2024 में भारत से आईफोन का निर्यात 12.8 बिलियन डॉलर (लगभग ₹1,09,655 करोड़) के उल्लेखनीय स्तर तक पहुंच गया था, और इसके आने वाले वर्षों में और तेजी से बढ़ने की प्रबल संभावना है।
- कुशल कार्यबल और विकसित होता बुनियादी ढांचा (Skilled Workforce and Evolving Infrastructure): हालांकि भारतीय श्रम शक्ति अनुभव के मामले में चीन से कुछ पीछे हो सकती है, लेकिन इसमें तेजी से सुधार हो रहा है और यह लागत प्रभावी भी है। एपल के साझेदार, जैसे फॉक्सकॉन, उत्पादन की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित कर रहे हैं और कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर (लगभग ₹23,139 करोड़) की लागत से बन रहे विशाल प्लांट जैसी विश्वस्तरीय उत्पादन सुविधाओं का तेजी से विस्तार कर रहे हैं।
फॉक्सकॉन का भारत में बढ़ता निवेश ट्रंप की चिंताओं के बावजूद
डोनाल्ड ट्रंप के निरंतर दबाव और सार्वजनिक चेतावनियों के बावजूद, एपल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर, ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन, ने भारत में अपने निवेश को और बढ़ाने का कदम उठाया है। फॉक्सकॉन ने अपनी सिंगापुर स्थित इकाई के जरिए पिछले महज पांच दिनों के भीतर तमिलनाडु स्थित अपनी सहायक कंपनी युजहान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में 1.49 बिलियन डॉलर (लगभग ₹12,700 करोड़) का अतिरिक्त निवेश किया है। यह कदम भारत के प्रति एपल और उसके आपूर्ति श्रृंखला भागीदारों की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और विश्वास को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
ट्रम्प के दबाव में नहीं आएगी एपल
विश्लेषकों का मानना है कि एपल जैसी वैश्विक कंपनियां अपने निर्णय अल्पकालिक राजनीतिक दबावों के बजाय दीर्घकालिक रणनीतिक लाभ, आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती, बाजार की संभावनाओं और लाभप्रदता के आधार पर लेती हैं। भारत में उत्पादन का विस्तार कंपनी की इसी व्यापक रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक शीर्ष भारतीय सरकारी अधिकारी ने भी विश्वास जताया है कि एपल ट्रंप प्रशासन के किसी भी दबाव के बावजूद अपने व्यावसायिक हितों और मुनाफे को तरजीह देते हुए भारत में न केवल अपना परिचालन जारी रखेगी बल्कि इसे और मजबूत भी करेगी।